हाईकोर्ट ने सोमवार को शहर की दिल्‍ली पुलिस से उन कदमों का ब्यौरा बताने को कहा है जो बम की धमकी मिलने पर दहशत फैलाए बिना और अभिभावकों पर कम से कम निर्भर हुए स्कूलों से बच्चों को सुरक्षित निकालने के लिए उठाए गए हैं। हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वे हलफनामे दायर करे जिनमें वे हर जोन में स्कूलों की संख्या, बम होने की धमकी मिलने पर कार्रवाई करने के लिए जिम्मेदार नोडल प्राधिकारी, कार्रवाई करने में लगने वाला समय और पुलिस व अन्य विभागों की निगरानी में किए गए छद्म अभ्यासों की संख्या का ब्यौरा दे।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि पुलिस ने स्थिति रिपोर्ट दायर की है जिसमें बम का पता लगाने और बम निरोधक दस्ते से संबंधित मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) और स्कूलों में बम होने की धमकी से निपटने से संबंधित दिशा-निर्देश हैं, लेकिन उसने कई अहम पहलुओं पर आंकड़े दाखिल नहीं किए हैं। पुलिस और सरकार द्वारा दायर किए जाने वाले हलफनामों में अभिभावकों पर कम से कम निर्भर हुए स्कूलों से बच्चों को निकालने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की जानकारी हो, क्योंकि विद्यार्थियों को सुरक्षित निकालने की प्राथमिक जिम्मेदारी स्कूल और अधिकारियों की है।

10 दिन के अंदर दें रिपोर्ट… 
अदालत ने कहा कि 10 दिन के अंदर दाखिल किए जाने वाले हलफनामों में दिल्ली सरकार द्वारा समय-समय पर जारी किए गए विभिन्न परिपत्रों के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए। न्यायमूर्ति प्रसाद ने कहा कि दिल्ली पुलिस यह भी बताए कि स्कूलों को बम होने की फर्जी धमकी मिलने के मामले की जांच के लिए उसने क्या कदम उठाएं हैं। उन्होंने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 20 मई को सूचीबद्ध कर दिया है।

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